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May 19, 2024

भारत सरकार संघर्ष के वैसे मोड़ पर पहुंच गई है, जैसे 30 वर्ष पहले 1990 में हिमाचल सरकार पहुंची थी-शांता कुमार

News portals-सबकी खबर (मंडी )

भारत सरकार संघर्ष के वैसे मोड़ पर पहुंच गई है, जैसे मोड़ पर आज से 30 वर्ष पहले 1990 में हिमाचल सरकार पहुंची थी। भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि हमने बिजली उत्पादन में निजी क्षेत्र को लाने का महत्त्वपूर्ण निर्णय किया। उसी पर बिजली कर्मचारी हड़ताल पर चले गए, कुछ दिन के बाद सरकार के सभी कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को बहुत समझाया कि हिमाचल में 21 हजार मैगावाट बिजली क्षमता है, सरकारों के पास पैसा नहीं है, पर  कर्मचारियों पर कोई असर नहीं हुआ।

हड़ताल उग्र होती गई।  सरकार का कामकाज ठप हो गया, तोड़-फोड़ होने लगी। उन्होंने कहा कि सब सोच कर सरकार ने ऐतिहासिक ‘काम नहीं, तो दाम नहीं’ का निर्णय किया। इससे आंदोलन और उग्र होने लगा।  पड़ोस क कुछ प्रदेशों के सरकारी कर्मचारी भी उनकी मदद करने लगे। शांता कुमार ने कहा कि उन्हें दिल्ली बुलाया गया। सब तरफ से दबाव था कि कर्मचारियों से समझौता किया जाए। अंत में उन्हें सलाह दी गई कि जैसे भी हो हड़ताल समाप्त करवाई जाए, क्योंकि हिमाचल की राजनीति सरकारी कर्मचारियों के सहयोग के बिना नहीं चल सकती।

मुझे याद है कि स्व. अरुण जेतली ने कहा था कि यद्धपि मेरा निर्णय सुशासन का है, परंतु राजनीति की दृष्टि से गलत है। तब उन्होंने कहा था कि मेरे लिए सुशासन राजनीति से ऊपर है। प्रदेश में भी अधिकतर दबाव निर्णय वापस लेने का था। पार्टी को भी लगा कि निर्णय भले ही अच्छा हो, परंतु इससे राजनीतिक नुकसान अधिक होग। 29 दिन तक हड़ताल चली। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि भारत सरकार इस कल्याणकारी निर्णय को लागू करने में पीछे नहीं हटेगी, यह निर्णय किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक रहेगा।

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