News portals-सबकी खबर (शिलाई )
हल्की बरसात होते ही शिलाई उपमंडल की सड़कें नदियों मे तब्दील होती नजर आ रही है। उपमण्डल मे यदि शिलाई बाजार की बात की जाए तो यहां सरकार के दावों की पोल नदियों मे तब्दील सड़कें खोल रही है। दो दिन हुई बरसात ने जहां प्रशासनिक अधिकारियों की करनी व कथनी जनता को दिखाई है। वही प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के उन शब्दों की अवहेलना सरेआम होती नजर आ रही है, जिसमे उन्होने यह कहां है कि शिलाई ओर सिराज उपमंडल को वह एक समान देखते है। लिहाजा शिलाई बाजार के लिंक मार्गो की अत्यधिक खराब स्थिति बनी हुई है। जानकारी के मुताबिक पिछले दो दिनों में हल्की बरसात होने सेशिलाई बाजार से सरकारी कार्यालयों को जाने वाले लिंक मार्ग की तस्वीरे आपको दिखा रहे है। जिसमे दूर दूर तक नालियों का प्रावधान नहीं किया गया है, ओर सेकड़ों मिलीलीटर बरसाती पानी सड़कों के रास्ते आगे निकलता दिखाई दे रहा है।
सड़कों के पानी ने जहां बड़े बड़े गड्ढे सड़कों पर कर दिये है वही लोगो के खेतो घासनियों, रास्तो को तोड़कर भारी तबाई मचाई है । उपमंडल के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए दर दर भटक रहे है । मौका पर हालत दयनीय होते जा रहे है। आप सोचकर हेरान हो जाएंगे कि जिन तसवीरों को हम दिखा रहे है। वह तस्वीरे शिलाई मे सरकारी दफ्तरों को जाने वाली सड़क की है। विकास की पहली सीढ़ी कही जाने वाली ग्राम पंचायत शिलाई, कार्यालय उपमंडल अधिकारी, तहसीलदार, थाना प्रभारी, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग, अधिशासी अभियंता जल शक्ति कार्यालय सहित तमाम कार्यालयों को जोड़ने वाली यह सड़क है। इतना ही नहीं बल्की प्रदेश खाध्य आपूर्ति निगम बोर्ड उपाध्यक्ष बलदेव तोमर के गाव ओर घर के लिए यही लिंक मार्ग जाता है। बावजूद उसके इस सड़क लिंक मार्ग की कितनी दयनीय हालात है यह तस्वीरें ब्याँ कर रही है।
इसलिए सोचिए ओर समझिए कि यह केसे अधिकारी होंगे जिनके कार्यालयों के आगे सड़क के इतने खस्ता हालात बने हुए है। आश्चर्य इस बात से हो रहा है कि प्रदेश मुख्यमंत्री जयाराम ठाकुर अक्सर अपने सम्बोधन मे शिलाई ओर सिराज उपमंडल मे एक जेसा विकास ओर बजट खर्च करने की बात कहते नजर आते है। बड़ी घोषणाएँ भी की गई है। लेकिन जनता मूलभूत लिंक मार्गो मे नालियों को बनाने के लिए तरस रही है। सरकार के अधिकारियों को शिकायतें की गई है। लेकिन अधिकारी शिलाई वासियों के लिए गोली मास्टर बने नजर आ रहे है। अब जनता की समझ मे यह नहीं आ रहा कि जिन अधिकारियों के कंधों पर उपमंडल के विकास का बोझ है, वही अधिकारी अपने कार्यालयों को जाने वाले रास्तो का विकास नहीं करवा पा रहे है, तो उपमंडल ओर प्रदेश का विकास केसे होगा।
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