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May 20, 2024

कफोटा: कोटा-पाब के गांव हरलोग में डाकघर कर्मचारियों की मनमानी के खिलाफ लोगों में भारी रोष

News portals-सबकी खबर (शिलाई)

शिलाई विधानसभा की ग्राम पंचायत कोटा-पाब के गांव हरलोग में कर्मचारियों की मनमानी का मामला सामने आया है। जहां कर्मचारियों ने अपनी सुख, सुविधाओं के लिए डाकघर ही शिफ्ट कर दिया है। बताया जा रहा है कि डाकघर कर्मियों को आने जाने में परेशानियां हो रही थी। इसलिए उन्होंने डाकघर ही अपनी सुविधाओं के अनुसार शिफ्ट कर दिया है। सरकार के नियमो को ताक पर रखने वाले कर्मचारियों का केंद्र और प्रदेश सरकार कुछ नही बिगाड़ सकती है। क्योंकि इन कर्मचारियों ने कागजी सफाई के साथ सारा कार्य किया है। लेकिन क्षैत्र के लोगों में डाकघर कर्मचारियों के खिलाफ भारी रोष व्याप्त है।लोगों ने आंदोलन करने से एसडीएम कफोटा को ज्ञापन सोपाकर जहां मनमर्जी करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की मांग की है।वहीं यह बताया है कि यदि डाकघर वापिस पुरानी जगह पर स्थानांतरित न किया तो आंदोलन किया जाएगा।सूत्रों की माने तो डाकघर कर्मचारी रातोरात डाकघर को हरलोग गांव से उठाकर कोटा गांव लेकर गए है। जहां पर ग्राम पंचायत परिसर में अब डाकघर लगाया जाएगा। हालांकि डाकघर कर्मचारियों ने कार्यालय शिफ्ट करने से पहले कार्यालय के लिए जगह चयनित नही की थी। बल्कि सारा कार्यक्रम रात के अंधेरे में किया गया है। बताया जा रहा है कि पिछले 70 सालों से डाकघर हरलोह गांव में चल रहा था और जब सरकार द्वारा कार्यालय को खोला गया तो हरलोग के नाम से ही डाकघर को स्थापित किया गया था। इसलिए वर्तमान समय तक डाकघर हरलोग के नाम से ही चल रहा है। क्षेत्रीय लोगों की माने तो यह सारा कार्य डाकघर कर्मचारियों ने मनमानी और दबंगई से किया है, जबकि केंद्र सरकार के ऐसे कोई आदेश नहीं आए है। न ही प्रदेश सरकार ने डाकघर शिफ्ट करने के कोई आदेश पास किए है। प्रदेश में अभी आचार संहिता का माहोल हैं। और आदर्श आचार संहिता का उलंघन कर्मचारियों की दबंगई कर गई है। इसलिए लोगों ने सरकार से ऐसे कर्मचारियों को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है, जो अपने हितों के लिए सरकारी कार्यालय ही शिफ्ट कर देते है। डाकघर शिफ्ट करने वाले कर्मचारियों के पास न कोई कार्यालय आदेश है। न ही किसी अधिकारी के आदेश है।बावजूद उसके गिने चुने कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रखकर डाकघर ही शिफ्ट कर दिया है। ऐसा भारत में यह पहला मामला होगा। जहां सरकार के कर्मचारियों ने बिना किसी आदेश के कार्यालय ही शिफ्ट कर दिया है। लोगों की माने तो जब कर्मचारियों से कार्यालय का सामान उठाने पर बात की गई तो डाकघर के सभी कर्मचारी मिलकर जनता के साथ बेअदबी करने पर उतारू हो गए। और दबंगई करते हुए हरलोग गांव से डाकघर कोटा गांव लेकर चले गए, जहां पंचायत घर के अंदर डाकघर का सामान रखा गया है। यहां असामाजिक तत्व के खिलाफ ग्रामीणों ने सख्त कार्यवाही की मांग की है।बता दे कि हरलोग डाकघर में कार्यरत कर्मचारियों का विवादो से पुराना नाता है। कर्मचारियों की दबंगई यहां लगातार देखने को मिल रही है। हरलोग से डाकघर शिफ्ट करने की यह तीसरी घटना बताई जा रही है। इससे पहले भी दो बार डाकघर कर्मचारी ऐसा कर चुके है। बताया यह जा रहा है कि डाकघर में कुछ स्थानीय कर्मचारी है, जिनको हरलोग गांव जाने में पर्सनल परेशानियां हो रही है। इसलिए हमेशा यह बहाना लगाते रहते है कि हरलोग गांव में इंटरनेट की समस्याएं आ रही है। जिसके कारण यहां डाकघर का कार्य सुचारू तौर पर नहीं चल पा रहा है। जबकि हरलोग गांव में सभी घरों के अंदर लोगों के पास फॉरजी और फाइवजी फोन पर इंटरनेट आसानी से उपलब्ध हो रहा है।ऐसे में डाकघर कर्मचारियों की करनी और कथनी में कितना फर्क है यह डाकघर कर्मचारियों की बेतरतीवी वाली हरकतों से पता चल रहा है।स्थानीय ग्रामीणों की माने तो हरलोग में कार्यरत पोस्टमास्टर और अन्य कर्मचारी, सुविधाएं न होने का हवाला देकर इससे पहले दो बार डाकघर को शिफ्ट कर चुके है, जिसके लिए कोई भी कार्यालय आदेश सरकार ने पास नही किए थे। और अब तीसरी बार कार्यालय को शिफ्ट किया गया है। डाकघर कर्मचारियों ने डाकघर कार्यालय को अपने घर की वस्तु समझ रखा है। इसलिए क्षैत्र में पहुंचने वाली डाक कभी भी समय पर लोगों को उपलब्ध नहीं हो पाती है। समूचा क्षेत्र डाकघर कर्मचारियों की दबंगई और मनमर्जी से परेशान है और केंद्र और प्रदेश के उच्चाधिकारी और सरकारें डाकघर कर्मचारियों का कुछ नहीं कर पा रहे है। जिससे यह प्रतीत होता है की डाकघर सरकार के आदेशों पर नही बल्कि डाकघर कर्मचारियों के आदेशों पर चल रहा है।आश्चर्य इस बात का है कि मनमर्जी करने वाले डाकघर कर्मचारियों में कई बार अपनी दबंगई को दिखाया है और मनमर्जी से डाकघर को स्थांतरित किया है। बावजूद उसके संबंधित विभाग और अधिकारी इन कर्मचारियों पर कभी कोई कार्यवाही नहीं कर पाए है। सब विभाग के नाक तले हो रहा है और लोगों को यहां दिया तले अंधेरा नजर आ रहा है। अब देखना यह होगा कि संबंधित विभाग और उपमंडलीय कार्यालय दबंगई करने वाले डाकघर कर्मचारियों पर कार्यवाही करता है या सभी अधिकारी कागजी फाइलों के पेट भरने के बाद मामले को रफदफा करते नजर आते है।

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