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May 19, 2024

स्वच्छ भारत निर्माण करने का लें सामूहिक संकल्प: स्वामी विज्ञानानंद

न्यूज़ पोर्टल्स:सनकी खबर

 

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान” की ओर से “विश्व पर्यावरण दिवस” के उपलक्ष्य में स्थानीय “श्री गुरु गोबिंद सिंह जी पार्क” में “विलक्षण योग शिविर” के साथ ही विशेष रूप से मानव और प्रकृति के सम्बन्ध को पुनर्स्थापित करने हेतु अपने “संरक्षण प्रकल्प” के अंतर्गत “करेंगे संग वायु प्रदूषण से जंग” नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें संस्थान की ओर से “श्री आशुतोष महाराज जी” के शिष्य स्वामी विज्ञानानंद ने बताया कि सृष्टि का सिरमौर कहे जाने वाले “मानव” द्वारा शहरीकरण, आधुनिकतावाद और विकासवाद की अंधी दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। फलतः पर्यावरण जगत पतन के कागार पर है।


स्वामी जी ने के अनुसार पर्यावरण के मूलतः तीन घटक वायु, जल और पृथ्वी स्वीकार किये गए हैं। भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों रोटी, कपड़ा और मकान के बिना मनुष्य फिर भी कुछ समय तक जीवित रह सकता है परन्तु वायु, जल और पृथ्वी के बिना जीवन की कल्पना नितांत असम्भव है। वायु प्रदूषण में वृक्ष कटाव, प्लास्टिक प्रदूषण, पेट्रोलियम उत्पादों से जनित पहिया प्रदूषण और किसानों द्वारा गेहूं की नाड़ जलाने से उतपन्न धुआँ प्रमुख कारक है। जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ रही है।अमेरिका की “टेक्सास ए एंड ऐम यूनिवर्सिटी” के शोधकर्ताओं का कथन है कि दुनिया में हर नौ में से एक मौत का संबंध वायु प्रदूषण से जुड़ा हुआ है। क्योंकि वायु में घुले अमोनियम सल्फेट के कण सांस द्वारा जब व्यक्ति के अंदर जाते हैं तो यही असाध्य रोगों और मृत्यु का कारण बनते हैं।

इसी प्रकार यदि प्रति व्यक्ति के हिसाब से शुद्ध पेयजल की बात की जाए तो भारत में पिछले 10 वर्षों में भूमिगत जल स्तर इतना निम्न स्तर पर जा चुका है कि 2050 तक सम्पूर्ण भारत मरु भूमि बन जाएगा और तीसरा विश्व युद्ध जल के लिए होने की सम्भावना है। चिंता का विषय है कि मनुष्य अपनी भावी पीढ़ी को क्या देकर जायेगा। चूंकि “स्वास्थ्य चिकित्सा” में भी “वायु और जल चिकित्सा” को सर्वप्रथम स्थान प्राप्त है इसी तथ्य के अनुरूप “विश्व स्वास्थ्य संगठन” के अनुसार संपूर्ण भारत में 70% रोगों का कारण अशुद्ध वायु और जल की उपलब्धता है। शुद्ध वायु और भूमिगत जल संसाधनों के विकास पर बल देते हुए स्वामी जी ने उपस्थित जन समूह को अधिक से अधिक पौधरोपण करने की प्रेरणा दी।


इसी तथ्य की शिलापट पर आज संस्थान की ओर से “गुरु गोबिंद सिंह पार्क” में पौधारोपण भी किया गया और योग साधकों को पौधे भी वितरित किये गए। साथ ही बच्चों द्वारा मुँह पर मास्क लगाकर जहां वायु प्रदूषण के प्रति जागरूक किया गया वहीं पार्क तत्वाधान में साइकिल रैली भी निकाली गई ताकि लोग घरेलू कार्यों के लिए साइकिल चला कर बाज़ार जाएँ और वायु प्रदूषण की कटौती में अपना योगदान दे सकें।
ध्यान देने योग्य है की संस्थान द्वारा पर्यावरण विकास की ओर उन्मुख अपने “संरक्षण” प्रकल्प के अंतर्गत अधिक से अधिक पौधे लगा कर उनका संरक्षण भी किया जाता है। इसी के साथ कार्यक्रम के अंत में सभी प्रकृति प्रेमियों ने जल संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन, पौधरोपण करने, सम्पूर्ण वनस्पति जगत के विकास करने व स्वच्छ भारत का निर्माण करने का सामूहिक संकल्प भी लिया।

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