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May 20, 2024

हिमाचल व उतराखंड की सीमारेखा मिनस पुल के पास हिमाचल में कार्य कर रहा उतराखंड, शासन, प्रशासन बेखबर

News portals-सबकी खबर (शिलाई )

जब कोई राज्य अपने प्रति उदासीन रवैया अपनाता है और अपनी जमीन की सही से देखरेख न करें तो उसका पूर्ण फायदा पड़ोसी उठाता है सीमा रेखा विवाद में अक्सर लड़ाई, झगड़े सुनने व समझने को मिलते है लेकिन हिमाचल प्रदेश में एसी सरकार बनी है जिनके अधिकारी अपनी जमीनों को लेकर बेखबर ही नहीं बल्कि कुम्भकर्णी नीद में नजर आ रहें है, मामला हिमाचल व उत्तराखंड प्रदेश की सीमा रेखा तमसा नदी पर बने पुल का सामने आया है!


सूत्रों के अनुसार लगभग 10 लाख रुपये खर्च करके उत्तराखंड लोनिवि विभाग, हिमाचल प्रदेश की सड़क में सुरक्षा दीवार सहित पैरापिट का निर्माण करवा गया है। लेकिन हिमाचल सरकार व अधिकारीयों को मानो मामले की जानकारी ही न हो, स्थानीय लोगों ने मामले की जानकारी विभागीय अधिकारीयों को दी जरुर है लेकिन कार्यवाही नही हुई है जिससे यह स्पष्ट होता है की सरकार अपने क्षेत्र को लेकर कितनी गंभीर है!
उतराखंड प्रदेश बनने से पहले उतर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था तथा उतराखंड प्रदेश की चकराता विधानसभा आजादी से पहले सिरमौर रिहासत का हिस्सा हुआ करती थी, लेकिन वर्तमान में तमसा नदी दोनों राज्यों की सीमा रेखा बनी हुई है नदी की एकतरफ हिमाचल तो दूसरी तरफ उतराखंड प्रदेश है साथ में लगते क्षेत्र की सामाजिक परिस्थितयां, बोली व आपसी भाईचारा एक जेसा है इतना ही नहीं बल्कि तमसा नदी पर बने मिनस पुल के लोकार्पण के दोरान हिमाचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उतराखंड प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह ने एक ही दिन अपनी अपनी जमीन पर पुल के दोनों छोर पर मिनस पुल का लोकार्पण किया है तथा दोनों मुख्यमंत्रियों की लोकार्पण पट्टिकाएं मोका पर लगी कई नए सपनों को जीवन देती नजर आती है!


दोनों मुख्यमंत्रियों ने कुवाणु में भव्य जनसभा को सम्बोधित किया था जिसमे दोनों प्रदेशों के लोगों से दर्जनों वादे किये गए थे समय बदला और उतराखंड भी बदल गया, वर्तमान में हिमाचल की जमीन पर अपना बजट लगाकर दरियादिली दिखाने की कोशिश कर रहा है आश्चर्य तो इस बात का हो रहा है कि उतराखंड लाखो रूपये के बजट से हिमाचल की सड़कों को सुरक्षित करने का जिम्मा ले रहा है लेकिन हिमाचल सरकार से कार्य करने की अनुमति नही ली है न सम्बन्धित विभाग से अनापति प्रमाणपत्र लिया है फिर भी लाखों रूपये सड़क सुरक्षा दीवार में खर्च कर गया है!


जानकारों की माने तो उतराखंड प्रदेश पहले ही कई किलोमीटर हिमाचल की जमीन पर अपना कब्जा कर चूका है कब्जा करने की कहानी प्रजामंडल से लेकर अबतक चलती आ रही है, पहले उत्तरप्रदेश और अब उतराखंड प्रदेश “मुहं में राम राम, और बगल में छुरी” वाली कहावत पर कार्य कर रहा है जो हिमाचल क्षेत्र व तमसा नदी के किनारे रह रहें लोगों के लिए घातक साबित हो सकता है, कागजी फाइलों में दोनों राज्यों के बीच क्या चल रहा है इसे अधिकारी ही बेहतर जानते है लेकिन प्रदेश सरकार व लोनिवि विभाग सवालों के घेरे में आ रहा है!
स्थानीय लोगों की माने तो उनका कहना है कि उतराखंड प्रदेश के कर्मचारी इतने मुस्तेद है कि यदि गलती से हिमाचल वासियों के जानवर उनके क्षेत्र में चले जाएं तो उतराखंड के लोग हजारों रूपये जुर्माना लगाते है कई बार मवेशियों को अपने कब्जे में लेकर वापिस नही करते है यदि कोई अकेला व्यक्ति देखते है तो उसके जानवर कब्जे में ले लेते है तथा व्यक्ति के साथ मारपीट करते है साथ ही प्रशासन के माध्यम से अतिरिक्त कार्यवाही करवाते है उनके क्षेत्र में कार्य करना तो दूर लेकिन यदि घास पत्तियां भी निकाल ली तो समझों की सेकडों के नुक्सान का लाखो रूपये हर्जाना देना पडेगा बावजूद उसके हिमाचल सरकार व प्रशासन कोई कार्यवाही नही कर रहा है तो फिर मामला गम्भीर है इसलिए हिमाचल सरकार को गम्भीरता से जरुर लेना चाहिए !


उत्तराखंड प्रदेश लोनिवि मंडल शईया अधिशासी अभियंता धीरेंद्र प्रताप सिंह मामले की पुष्टि करते हुए बताते है कि उत्तराखंड प्रदेश ने बजट पास करके तमसा नदी उसपार हिमाचल प्रदेश क्षेत्र में सड़क सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य करवाया है जिसपर हिमाचल सरकार व सम्बन्धित विभाग ने कोई आपति नही जताई है इससे पहले भी उतराखंड सरकार ने हिमाचल प्रदेश क्षेत्र में बजट खर्च किया है जिसपर कोई आपतियाँ नही आई है ! उधर, हिमाचल प्रदेश लोनिवि मण्डल शिलाई अधिशासी अभियंता प्रमोद उप्रेती बताते है कि करीब 14 मीटर दूर हिमाचल प्रदेश की जमीन में उत्तराखंड प्रदेश लोनिवि विभाग द्वारा निर्माण कार्य करवाये गए है। ऐसा क्यों किया गया इसकी जांच हो रही है। यदि उतराखंड प्रदेश की मंशा गलत नजर आई तो जरुरी कार्यवाही के लिए प्रदेश सरकार को लिखा जाएगा तथा भविष्य में अवैध निर्माण कार्य पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा!

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