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May 13, 2024

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों को अगले सत्र से स्कूल बैग का भार कम करने के दिए निर्देश

News portals-सबकी खबर (शिमला )

सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए अच्छी खबर आई है। कोरोनाकाल खत्म होने के बाद जब नए सत्र से छात्र स्कूलों में आएंगे, तो उनकी पीठ पर लदे बैग से किताबों का बोझ कम होगा। इसको लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने पॉलिसी बनाई है। इस पॉलिसी के मुताबिक बच्चों के स्कूल बैग का वजन उनके वजन के दस फीसदी से ज्यादा नहीं होगा। केंद्र की इस पॉलिसी को हिमाचल में लागू करने के लिए शिक्षा विभाग व स्कूल शिक्षा बोर्ड को राज्य सरकार ने प्लानिंग करने के निर्देश दिए हैं।

फिलहाल भारत सरकार ने तय किया है कि पहली कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों के बैग का वजन औसतन 1.6 से 2.2 किलोग्राम तय किया गया है, जबकि बारहवीं में पढ़ने वाले छात्रों के बैग का वजन औसतन 3.5 से पांच किलोग्राम के बीच होगा, वहीं प्री-प्राइमरी में पढ़ने वाले बच्चों के लिए कोई बैग नहीं होगा। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई पॉलिसी के अनुसार पहली कक्षा के छात्रों के लिए केवल तीन किताबें होंगी। इसके साथ ही उन किताबों का वजन 1078 ग्राम होना चाहिए। वहीं 12वीं में पढ़ने वाले छात्रों की किताबों का वजन 4182 ग्राम होना चाहिए। इसके अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय  की ओर से बनाई गई कमेटी की ओर से बताया गया है कि पढ़ाई के लिए अलग से समय सारणी होनी चाहिए। वहीं केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि छात्रों की किताबों का बोझ 500 ग्राम से 3.5 किलोग्राम तक ही होना चाहिए। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने छात्रों के लंच बॉक्स से लेकर पानी की बोतल का भी भार कम से कम करने को कहा है।  बता दें कि स्कूल शिक्षा बोर्ड भी इसको लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। वहीं हिमाचल के सरकारी स्कूलों में भी छात्रों के बैग से किताबों का बोझ कम हो, इसके लिए शिक्षा विभाग व स्कूल शिक्षा बोर्ड मिलकर प्रेजेंटेंशन तैयार करेगा। राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि छात्रों के बैग से किताबों का बोझ कम करने के लिए ऑनलाइन सिस्टम को सुदृढ़ करना जरूरी है।

स्कूलों में लगेंगी तोल मशीनें

बताया जा रहा है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नए शैक्षणिक सत्र से इस पर सख्ती से अमल करने के निर्देश दिए हैं। अहम यह है कि बच्चों के स्कूल बैग का वजन चैक करने के लिए तोल मशीनें लगेंगी। साथ ही प्रकाशकों को किताबों के पीछे उसका वजन और उसकी वजह भी बताना अनिवार्य होगा।

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