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May 18, 2024

Greater Sirmour के हाटी समुदायक का शाही माघी Festival आज से शुरू ,क्षेत्र में 60 करोड़ से मनाया जायेगा माघी त्यौहार |

गिरिपार में आज कटेंगे 50हजार बकरे 

News portals-सबकी खबर (शिलाई )

जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व परंपराओं को संजोए रखने के लिए मशहूर करीब ढ़ाई लाख की आबादी वाले गिरिपार क्षेत्र के बाशिंदे आज से  माघी त्यौहार शुरू हो गया है । यह Greater Sirmour माघी त्यौहार चार दिवसीय मनाया  जाता हे |इस चार दिवसीय माघी त्यौहार को 11 जनवरी को शुरू होकर  संगरांद के बाद आने वाले खोडे के नाम से जाने वाले दिन  तक यह त्यौहार चलता रहेता है |गिरिपार में आज कटेंगे  52 हजार बकरे  जिनकी कीमत लगभग 60 करोड़ के आस पास मानि जा रही  है |

जानकारी के अनुसार ग्रेटर सिरमौर मांगी का यह त्यौहार शनिवार से शुरू हो गया है जो कि संक्रांति के बाद आने वाले (खोड़े )तक मनाया जाता है । पाहाड़ी में खोड़े के नाम से जाने वाले दिन तक हाटी समुदाय के लोग इस त्यौहार को मनाते हैं हालांकि यह त्यौहार हाटी समुदाय के लिए सबसे महंगा ओर बड़ा त्योहार माना जाता है। लेकिन पुरानी परंपरा से चली आ रही है इस प्रथा को आज भी मानी जा रही है । आज माघी के त्यौहार शुरू होने से पहले हर घर मे माँ काली के नाम से प्रशादी बनाया जाता है जिसको पाहाडी में (खेंडा )के नाम से जाना जाता है । माँ काली के नाम से प्रशादी (खेंडा)बनाने के बाद पहले माँ काली को चढ़ाते है या तरपा जाता है ,उसके बाद यह त्यौहार शुरू हो जाता है । इस त्यौहार में खासकर मेहमानों को अधिक बुलाया जाता है ।


जिला सिरमौर मैं  गिरिपार क्षेत्र में पुरानी परंपराओं  से चली आ रही माघी त्यौहार को  लोग जोरों-शोरों से  मनाते हैं । शिल्ला गांव के नंबरदार जगत सिंह ने बताया  की  गिरिपार में यहां माघी त्यौहार बडे़ जोरों से मनाया जाता है । सिरमौर जनपद का गिरिपार क्षेत्र जो हाटी के नाम से जाना जाता है, कई मायनों में अन्य क्षेत्रों से भिन्न है। खासकर पुरानी परंपराओं व लोक संस्कृति को अपने आप में संजोए यह क्षेत्र आज के इस बदलते दौर में अपने आप में एक अनूठी मिसाल कायम किए हुए है।

भौगोलिक स्थिति व जलवायु भिन्न होने के कारण भी कई मेले व त्योहार इस क्षेत्र में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ बड़ी धूमधाम से मनाए जाते है, जिसमें विशेषकर बूढ़ी दीवाली व माघी का यह त्योहार शामिल है। करीब 3 लाख की आबादी वाले गिरिपार क्षेत्र में माघी त्योहार के नजदीक आने पर लोग एक महीना पहले ही इन बकरों की खरीद-फरोख्त में जुट जाते है । माघी त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाने के लिए क्षेत्र के ग्रामीण बर्फ पड़ने से पहले अपने-अपने घरों में खाने का सामान एकत्रित कर लेते है। वैसे तो गांव में कई लोग इन बकरों को एक वर्ष पहले से ही अपने घरों में पालना शुरू कर देते है।

गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय के लोग 50 हजार बकरे माघी त्योहार में काटे जाते है। जिनकी किमत 15 हजार से लेकर 50 हजार तक होती है, जिसकी कुल कीमत 60 करोड़ों में पहुंच जाती है। 11 जनवरी यानी आज के दिन से माघी त्योहार मनाया जा रहा है , जिसकी तैयारियां बडे़ जोरों से चली हुई है। माघी त्योहार की परंपरा कई सदियों से चली आ रही है। यह पुरानी परंपरा मैं लोग साल भर पहले से ही घर में बकरी पालना शुरू कर देते हैं |

बता दे कि पिछले कुछ वर्षों मे इलाके के डेढ़ दर्जन के करीब गांव मे लोग बकरे काटने की परंपरा छोड़ चुके हैं तथा शाकाहारी परिवारों की संख्या भी बड़ी है। इसके बावजूद माघी त्यौहार मे हर घर मे बकरा काटने की परंपरा अब भी 90 फीसदी गांव मे कायम है। ग्रेटर सिरमौर की 130 के करीब पंचायतों मे साल के सबसे शाही व खर्चीले कहे जाने वाले इस त्यौहार के दौरान हर पंचायत मे औसतन सवा तीन सौ के करीब बकरे कटते हैं। आगामी 10 जनवरी से शुरू होने वाले इस त्यौहार को खड़ीआंटी अथवा अस्कांटी, डिमलांटी, उतरान्टी अथवा होथका व साजा आदि नामों से चार दिन तक मनाया जाता है। क्षेत्र के विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के सर्वेक्षण के मुताबिक गिरीपार मे लोहड़ी के दौरान मनाए जाने वाले माघी त्यौहार पर हर वर्ष करीब 50 हजार बकरे कटते हैं तथा एक बकरे की औसत कीमत 15000 रखे जाने पर इस त्यौहार के दौरान यहां करीब 60 करोड़ रुपए के बकरे कटेंगे। क्षेत्र से संबंध रखने वाले उच्च पदों पर कार्यरत प्रशासनिक व सैन्य Officers, राजनेताओं, Doctors, Advocates, पत्रकारों व Businessman आदि प्रतिष्ठित लोगों मे से भी अधिक्तर के घरों मे भी बकरे कटते हैं। महंगे बकरे खरीदने मे अक्षम व अपनी बकरियां न पालने वाले कुछ लोग मीट की दुकानों से ताजा Mutton लाकर इस Festival को मनाने लगे हैं। क्षेत्र मे माघी पर कटने वाले बकरे का मीट हल्दी, नमक व धूंए से परंपरागत ढंग से संरक्षित किया जाता है तथा अधिकतर लोग इसे फ्रिज की वजाय कम Temperature वाली जगह मे सुखाकर पूरे माघ महीने खाते है। क्षेत्र की कुछ सुधारवादी NGOs द्वारा हालांकि इस त्यौहार अथवा परंपरा को समाप्त करने की कोशिश भी गत दो दशकों से की जा रही है, मगर अधिकतर लोग जिला के इस ठंडे इलाके में सर्दियों में Meat खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने का तर्क देकर इसे बंद करने के पक्ष में नहीं है। बकरों की खरीदारी के अलावा माघ में मेहमानों को दिए जाने वाले विशेष व्यंजन मूड़ा के लिए भी गैंहू, चावल, चौलाई, अखरोट, भांग बीज व तिल आदि को तैयार करने में भी लोग अथवा महिलाएं व्यस्त हो गई है। साल के सबसे Glorious व खर्चीले कहलाने वाले माघी त्यौहार के बाद पूरे माघ मास अथवा फरवरी के मध्य तक क्षेत्र में मेहमान नवाजी का दौर चलता है। इस दौरान मांसाहारी लोगों को जहां डोली, खोबले, राढ़ मीट, सालना व सिड़कू आदि पारंपरिक सिरमौरी व्यंजन परोसे जाते हैं, वहीं Vegetarian Guest के लिए धोरोटी, मूड़ा, पूड़े, पटांडे, सीड़ो व तेलपाकी आदि घी के साथ खाए जाने वाले पकवान बनाए जाते हैं। बहरहाल क्षेत्र मे माघी त्यौहार के लिए बकरों की खरीदारी का दौर जोरों पर है तथा Meat की दुकान चलाने वाले इन दिनों जिंदा बकरे बेचकर काफी मुनाफा कमा रहे हैं।

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