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May 18, 2024

ठेकेदार की मनमानी बर्दाश्त करता रहा विभाग, लोग भुगते रहे खामियाजा

News portals-सबकी खबर (कुल्लू)
हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लू में स्थित सोलंग गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए पुल निर्माण का कार्य लोक निर्माण विभाग ने पंजाब वेलकॉन इंडिया नामक एक कंपनी को दिया था। वर्ष 2017 में आवंटित हुए इस कार्य में ठेकेदार मनमानी करता रहा| लोक निर्माण विभाग भी ठेकेदार की मनमानी को बर्दाश्त करता रहा। निर्माण अवधि के भीतर पुल का कार्य पूरा न होने के करण ठेकेदार को पेनल्टी लगाई गई, लेकिन कार्य फिर भी लटका रहा।विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली और ठेकेदार की मनमानी का खामियाजा सोलंग गांव के ग्रामीण भुगतने को विवश हैं। आजादी के 75 वर्ष बाद भी पर्यटन नगरी मनाली से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोलंग गांव सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया है। ब्सास नदी के तट पर बसे इस गांव को सड़क से जोड़ने के लिए पुल प्रस्तावित है।
गांव के लिए सड़क भी बन रही है। लेकिन, पुल निर्माण में हुई लेटलतीफी के कारण ग्रामीण अस्थायी पुलिया पार कर गांव तक पहुंच रहे हैं। बरसात के दौरान यह पुलिया ब्यास के जल स्तर के साथ ही बह जाती है। इस वर्ष अगस्त में भी ऐसा ही हुआ। ब्यास ने रौद्र रूप धारण करते ही पुलिया बह गई जिसके चलते पुलिया पार कर रहे दो किशोरों को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ग्रामीण वर्षों से पुल निर्माण का कार्य शीघ्र पूरा करने की मांग कर रहे हैं। पुल निर्माण पर करोड़ों रुपये का खर्च करने के बाद भी, अब यह टूट गया। इससे ठेकेदार की लापरवाही के साथ ही विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली भी उजागर हुई है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता अनूप शर्मा ने बताया कि पुल निर्माण का कार्य वर्ष 2017 में पंजाब की वेलकॉन कंपनी को दिया गया था। पुल का कार्य दो वर्ष में पूरा किया जाना था, लेकिन कार्य पूरा नहीं हुआ।इसके बाद विभाग ने कार्रवाई करते हुए ठेकेदार पर पेनल्टी लगाई।
जिसमे ठेकेदार ने कोरोना का हवाला देकर कार्य नहीं कर पाने की बात कही। विभाग ने फिर ठेकेदार को मौका देते हुए अप्रैल 2022 तक कार्य पूरा करने के लिए कहा, लेकिन बावजूद इसके वह कार्य नहीं कर पाया। इसके बाद विभाग ने पुराना टेंडर रद्द कर दिया। ठेकेदार को तमाम सामान मौके से हटाने के आदेश दिए गए थे, क्योंकि नए ठेकेदार को कार्य करने में दिक्कत हो रही थी। उन्होंने बताया कि पुल के आधार स्तंभ सही हैं। लेंटर की गुणवत्ता ठीक नहीं है। गुणवत्ता को देखते हुए ही ठेकेदार को केबल लगाने की अनुमति नहीं दी गई थी।पुल निर्माण में सुस्ती की वजह से सरकारी खजाने को भी चपत लगी है। पुल का कार्य वर्ष 2017 में 2.92 करोड़ रुपये में अवार्ड हुआ था। पुल निर्माण के आधार स्तंभ बनकर तैयार हो गए हैं। अब फिर इस पुल का नया टेंडर 2.77 करोड़ रुपये में अवार्ड हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि पुल निर्माण का बजट और बढ़ सकता है। नाबार्ड के अंतर्गत इस पुल का कार्य किया जा रहा है।
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