News portals-सबकी खबर (नाहन )
प्रदेश के साथ-साथ जिला सिरमौर में सूखा की स्थिति गहराती जा रही है, जिसके चलते जिला में भी बागबानी और कृषि उपजों पर असर देखा जा रहा है। जिला सिरमौर में वर्तमान में जारी सूखे से खेतों में नमी की समस्या खड़ी हो गई है जिसके चलते फलों की नर्सरी ग्रॉथ पर असर पड़ा है। जिला में 500 हेक्टेयर भूमि पर बागबानी पर आड़ू्र, प्लम, खुमानी, आम, अमरूद, नींबू प्रजाति की नर्सरी ग्रॉथ पर बागबानी में असर पड़ा है, जिसके चलते आगामी फसल के प्रभावित होने के साफ संकेत बागबानी विभाग को नजर आ रहे हैं। जिला सिरमौर में इस मर्तबा 1.70 लाख विभिन्न फलों की प्लांटेशन हुई है जिसमें से 20 से 25 प्रतिशत फलों का उत्पादन जारी सूखे से हुआ है।
जिला सिरमौर में बागबानी क्षेत्र में अभी भी 1100 हेक्टेयर भूमि पानी के इंतजार में है। हालांकि जिला सिरमौर में बागबानी क्षेत्र में अब हिमाचल प्रदेश शिवा परियोजना के आने के बाद असिंचित बागबानी भूमि पर पानी की उपलब्धता होने का दावा किया जा रहा है। वहीं हिमाचल प्रदेश बागबानी विकास परियोजना के तहत भी जिला के तीन विकास खंडों में टैंकों के निर्माण कर असिंचित भूमि को सिंचित दायरे में लाने का प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में जारी सूखे से निपटने के लिए बागबानी विशेषज्ञ एवं उपनिदेशक डा. राजेंद्र भारद्वाज ने बताया कि बागबानों को खेतों में पानी के लिए पाइपें उपदान पर उपलब्ध करवाई जा रही हैं। वहीं ड्रिप सिंचाई के लिए भी बागबानों के लिए पाइपें उपलब्ध करवाई जा रही हैं जो कि पूरी तरह से सबसिडी पर उपलब्ध है। लिहाजा बागबान वर्तमान सूखे की स्थिति में अपने जल स्रोतों से विभागीय अनुदान पर दी जा रही पाइपों एवं ड्रिप सिंचाई से पानी की नमी को बनाए रखें।
उधर, कृषि क्षेत्र में वर्तमान सूखे की स्थिति को देखते हुए किसानों को जिला सिरमौर में गेहूं का बीज उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिला सिरमौर में किसानों को पांच हजार क्विंटल गेहूं का बीज वितरित किया जा रहा है। साथ ही कृषि विशेषज्ञ किसानों को खेतों में पानी की कमी के चलते नमी बनाए रखने के लिए खेतों में गोबर एवं खाद को डालकर नमी को बरकरार रखने की सलाह दे रहे हैं।
गौर हो कि जिला सिरमौर में वर्तमान में 42 हजार हेक्टेयर भूमि पर कृषि की जा रही है, जिसमें से 18 हजार हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित भूमि के तहत ही है, जबकि अभी भी जिला सिरमौर में 24 हजार हेक्टेयर क्षेत्र पानी के इंतजार में है। जिला में 24 हजार हेक्टेयर भूमि अभी भी केवल वर्षा पर ही निर्भर है। कृषि विभाग की मानें तो असिंचित खेतों के लिए सिंचाई योजनाएं जिनमें टैंक निर्माण, फलों इरीगेश इत्यादि तैयार की जा रही है। क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ कृषि विशेषज्ञ एवं उपनिदेशक डा. पवन कुमार ने बताया कि किसान सूखे की स्थिति में गेहूं के बीज को सबसे पहले अपने पास रखें। वहीं खेतों को जुताई वाली स्थिति में रखा जाए। उन्होंने बताया कि खेतों में नमी को बनाए रखने के लिए खाद एवं मैल को खेतों में डालकर नमी को संरक्षित किया जाए।
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