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हिमाचल में स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र अब एक ही जगह करने के लिए काम शुरू हो गया है। को-लोकेशन के इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग मिलकर काम करेंगे। जिलों से ऐसे स्कूलों की रिपोर्ट मांगी गई है, जहां या तो जीरो एडमिशन है या फिर वर्तमान एनरोलमेंट के बाद इतनी जगह खाली है कि आंगनबाड़ी भी वहां चल सके। यह रिपोर्ट तैयार होने के बाद सरकार इस पर फैसला लेगी। दरअसल हिमाचल में 78 बाल विकास परियोजनाओं के तहत कुल 18925 आंगनबाड़ी केंद्र या मिनी आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे हैं।
बताया जा रहा है कि इनमें मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 539 है। इन केंद्रों के जरिए छह साल तक के बच्चे, गर्भवती महिला और धात्री माताओं के लिए योजनाएं चलाई जाती हैं। इन केंद्रों में से 2160 आंगनबाड़ी केंद्र सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अपने भवनों में हैं, जबकि वर्तमान में 3053 आंगनबाड़ी केंद्र प्राइमरी स्कूलों में चल रहे हैं। 9607 आंगनबाड़ी केंद्र अभी निजी भवनों में हैं और 4105 आंगनबाड़ी केंद्र अन्य सरकारी भवनों के तहत संचालित हैं। हिमाचल सरकार ने इस वित्त वर्ष में 1000 नए आंगनबाड़ी भवन बनाने का लक्ष्य तय किया है। इस बारे में बजट में भी मुख्यमंत्री ने घोषणा की है, लेकिन इन भवनों को महिला एवं बाल विकास विभाग खुद बनाएगा और इसके लिए जमीन भी चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, लेकिन जो महत्त्वपूर्ण है, वह है प्राइमरी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को एक साथ करना।
राज्य में करीब 150 स्कूल ऐसे हैं, जहां जीरो एडमिशन है। यानी इन स्कूलों में एक भी बच्चा पढ़ने नहीं आ रहा है। इन स्कूलों पर रिपोर्ट सामने आने के बाद विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने शिक्षा विभाग से रिपोर्ट मांगी थी और कहा था कि इन भवनों को किसी अन्य विभाग को ट्रांसफर किया जाए, ताकि उनका इस्तेमाल हो सके। शिक्षा विभाग की सामान्य प्रक्रिया है कि यदि स्कूल भवन इस्तेमाल नहीं हो रहा तो, लोकल पंचायत को इसे सौंप दिया जाता है ताकि पंचायत अपने हिसाब से इसका इस्तेमाल कर सके। हालांकि इस बार इन खाली स्कूल भवनों का इस्तेमाल आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए होगा। हालांकि जिलों से रिपोर्ट आने के बाद इसमें स्टडी की जाएगी कि छोटे बच्चों लायक यह स्कूल भवन दूरी के हिसाब से भी है या नहीं? सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश हैं कि स्कूल और आंगनबाड़ी के लिए को-लोकेशन की प्रक्रिया को अपनाया जाए। इस पर काम चल रहा है और जिलों से रिपोर्ट आने के बाद दोबारा से सरकार के ध्यान में यह मामला लाया जाएगा।
1207 और आंगनबाड़ी केंद्र बनेंगे मॉडल
महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक रूपाली ठाकुर ने बताया कि इस वित्त वर्ष में 1207 आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के रूप में बनाया जाएगा। यह राज्य सरकार की घोषणा है जिस पर 32 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। इन केंद्रों के साथ ही कुल मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 3846 हो जाएगी, जिसके बारे में प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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