Breaking News :

मौसम विभाग का पूर्वानुमान,18 से करवट लेगा अंबर

हमारी सरकार मजबूत, खुद संशय में कांग्रेस : बिंदल

आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 7.85 करोड़ रुपये की जब्ती

16 दिन बाद उत्तराखंड के त्यूणी के पास मिली लापता जागर सिंह की Deadbody

कांग्रेस को हार का डर, नहीं कर रहे निर्दलियों इस्तीफे मंजूर : हंस राज

राज्यपाल ने डॉ. किरण चड्ढा द्वारा लिखित ‘डलहौजी थू्र माई आइज’ पुस्तक का विमोचन किया

सिरमौर जिला में स्वीप गतिविधियां पकड़ने लगी हैं जोर

प्रदेश में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निवार्चन के लिए तैयारियां पूर्ण: प्रबोध सक्सेना

डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस ने किया ओएनडीसी पर क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

इंदू वर्मा ने दल बल के साथ ज्वाइन की भाजपा, बिंदल ने पहनाया पटका

May 19, 2024

किसान सभा राज्य अध्यक्ष डॉ तंवर बोले बंदरों के मुद्दे पर गंभीर नहीं है राज्य सरकार ।

News portals-सबकी खबर

जिला सिरमौर के उपमंडल संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ के किसानों की सराहना की तथा सरकार द्वारा इस कार्य में मदद न किए जाने पर नाराजगी जताई।
किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डॉ कुलदीप तंवर ने हिमाचल सरकार अथवा वन विभाग से बंदर मारने में किसानों का सहयोग करने की अपील की। डॉ तंवर ने पिछले चार माह में सैकड़ों बंदरों को दवाएं देकर मारने वाले प्रदेश सरकार से नाराजगी जताई है

वन विभाग में बतौर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सेवाएं दे चुके डॉ तंवर ने कहा कि, हिमाचल सरकार द्वारा लगातार तीसरी बार एक साल के लिए पीड़क जंतु घोषित किए जा चुके बंदरों को मारने के लिए सरकारी स्तर पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। डॉ तंवर ने कहा कि, हिमाचल की 2301 पंचायतों में आतंकी बंदर किसानों को खेती छोड़ने पर मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, बंदरों की नसबंदी व पुनर्वास के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर प्रदेश सरकार हालांकि सूबे में अब इनकी संख्या मात्र तीन लाख के करीब बता रही है, मगर किसान सभा द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार इनकी संख्या पांच लाख के करीब है। उन्होंने वन विभाग द्वारा की जा रही नसबंदी को समस्या का समाधान नहीं बताते हुए कहा कि, वास्तव में किसानों द्वारा दी जा रही चूहे मारने की दवा इनकी कलिंग अथवा खात्मे की बेहतरीन तरकीब है।

किसान सभा ने सरकार अथवा वन विभाग से किसानों को बंदर मारने का प्रशिक्षण देने तथा मरे हुए बंदरों की बोगी डिस्पोज ऑफ करने की व्यवस्था की अपील की। भारतीय वन सेवाएं अधिकारी रह चुके डॉ कुलदीप तंवर में कहा कि, वन वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत बंदरों को पीड़क जंतु घोषित किया गया था। पहले वर्मिन जंतु भाग 2 में रखे गए बंदरों को बाद में शेड्यूल 5 में शामिल किया गया है। विभिन्न संगठनों द्वारा गठित खेती बचाओ समिति की पहल के बाद वर्ष 2007 में उपमंडल संगड़ाह के किसानों ने 419 बंदरों को अपनी बंदूकों से मार गिराया था। किसान संगठनों के प्रर्दशनों अथवा दबाव के बाद उस दौरान सरकार द्वारा न केवल बंदरों को मारने की अनुमति दी गई थी, बल्कि नौहराधार रैंज अथवा उपमंडल संगड़ाह के कुछ लाइसेंस शुदा बंदूकधारक किसानों को बारूद अथवा असलाह खरीदने का खर्चा भी दिया गया था।


इस दौरान उपमंडल संगड़ाह में 11 से 17 जुलाई 2007 तक जहां सरकारी स्तर पर बंदर मारने के लिए ऑपरेशन कलिंग चलाया गया था, वही इसके बाद अगस्त माह में किसानों द्वारा अपने स्तर पर बंदर मारे गए थे। 419 बंदर मारे जाने संबंधी रिपोर्ट मीडिया की सुर्खियों में आने के बाद केंद्रीय मंत्री एवं पर्यावरण प्रेमी मेनका गांधी की संस्था के हस्तक्षेप के बाद वन विभाग द्वारा बंदर मारने पर पाबंदी लगाई गई थी। जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र अथवा उपमंडल संगड़ाह, राजगढ़ व शिलाई की दर्जनों पंचायतों के किसानों द्वारा प्रदेश सरकार की अनुमति मिलने के बाद अपने स्तर पर बंदरों को मारने का अभियान शुरू किया गया है। जानकारी के मुताबिक अधिकतर किसान चूहे मारने की जहरीली दवा खेत में रखकर बंदरों को मार रहे हैं, हालांकि अब तक किसान गुपचुप तरीके से यह काम कर रहे हैं। वन विभाग के अरण्यपाल नाहन ने इस बारे पूछे जाने पर कहा कि, प्रदेश सरकार द्वारा एक बार फिर एक साल के लिए बंदरों को वर्मिन जंतु घोषित करवाया गया है। सरकार के इस निर्णय के चलते किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा रहे बंदरों को मारने का हक हैं। उन्होंने कहा कि, 500 रुपए की निर्धारित राशि केवल बंदर पकड़ने वालों को बतौर मजदूरी अथवा इंसेंटिव दी जाती है। सरकार द्वारा अब तक बंदर मारने के लिए इस तरह की कोई राशि निर्धारित नहीं की गई है।

Read Previous

बारिश से दूसरे दिन भी बंद रही संगड़ाह की सड़कें ।

Read Next

किसानों ने की रेणुकाजी बांध को मिट्टी देने पर चर्चा ।

error: Content is protected !!