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October 14, 2024

अपनी मांगों को लेकर पत्रकारों ने दिया केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को ज्ञापन

News portals-सबकी खबर (जयपुर)

जर्नलिस्ट्स एसोसीएसंन ऑफ राज्यस्थान (जार) के पधाधिकरियो ने केन्द्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की और पत्रकारों के  हितों से जुड़े मुददों से अवगत करते हुए इनके निस्तारण की मांग की |महानगर टाइम्स के रजत महोत्सव में जयपुर आए केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर कों पत्रकारों की मांगो कों लेकर ज्ञापन दिया | वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट कों यथावत रखने,जर्नलिस्ट्स प्रोटेक्शन एक्ट लागू करवाने, मिडिया काउंसलिंग के गठन, समाचार पत्रों में वेजबोर्ड के प्रावधानों कों लागू करवाने,आरएनआई में समाचार पत्रों के पंजीयन,आरएनआई नम्बर जारी करने में हो रहें विलम्ब कों दूर करने जेसे पत्रकार हितों के मुद्दे से अवगत कराया | केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा की आरएनआई-डीएवीपी और पीआईबी में काफी नियम पेचीदा है | अखबार पंजीयन व आरएनआई नम्बर लेने के लिए महीनों लग जाते है | इस व्यवस्था कों आनलाइन करके सुधारा जा रहा है | एसी व्यवस्था की जा रही है की एक सप्ताह में ही आरएनआई नम्बर मिल सके |लोगों कों दिल्ली नही आना पड़े | ऐसे आरएनआई नंबरों कों निरस्त करने और नियम बनाने की बात कही, जों सिर्फ कागजो में ही है | ठाकुर ने मिडिया सुधारों के लिए जल्द ही नए कानून व नियम बनाने की कही | रजत महोत्सव में भी केन्द्रीय मंत्री नए कहा की अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहें प्रेस एक्ट कों बदला जाएगा |केन्द्रीय मंत्री कों ज्ञापन देने के दोरान जार के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा, प्रदेश महामंत्री संजय सेनी, प्रदेश सचिव भाग सिंह, मुकेश शर्मा,जयपुर जार जिला अध्यक्ष जगदीश शर्मा, सयोजक रामजीलाल शर्मा, रामगोपाल पारिक, मनीष शर्मा, प्रहलाद योगी, जितेन्द्र चोहन, जीतेंद्र शर्मा,विनय शर्मा, नरेन्द्र दतोलिया आदि साथ रहें |इन मांगो से कराया अवगत -पत्रकार पेशे के दोरान पत्रकारों पर जानलेवा हमले और उनकी हत्याओं की घटनाए काफी होने लगी है | ऐसे पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पत्रकार सुरक्षा एवं कल्याण कानून लागू करवाना आवश्यक हो गया है | एस कानून में पत्रकारों पर हमले, धमकियों कों गेर जमानती अपराध घोषित किए जाए |पत्रकारिता पेशे के दोरान पत्रकारों पर जानलेवा हमले और उनकी हत्याओ की घटनाएं काफी होने लगी है | ऐसे में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पत्रकार सुरक्षा एवं कल्याण कानून लागू करवाना आवश्यक हो गया है | इस कानून में पत्रकारों पर हमले, धमकियो कों गेर जमानती अपराध घोषित किए जाए |पत्रकारों के लिए गठित वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट कों खत्म करके नए श्रम कानूनों में समायोजित किया जा रहा है | सरकार का यह कदम सही नही है | पत्रकारों व गेरपत्रकारों की आर्थिक सुरक्षा व सम्मान के लिए वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट कों यथावत रखा जाए | इसे नए श्रम कानूनों में शामिल नही किया जाए |वकीलों की तर्ज पर देश में मिडिया काउंसलिंग और नेशनल जर्नलिस्ट्स रजिस्टर का गठन किया जाए | ताकि पत्रकारिता कों बदनाम करने करने वाले अपराधिक व्यक्तियों, समूहों पर क़ानूनी अंकुश लग सके |केन्द्र सरकार ने पत्रकारों और गेर पत्रकार कर्मियों कों कानून सम्मत वेतन भते दिए जाने के लिए जसिट्स मजीठिया वेजबोर्ड के माध्यम से कंई सिफरिशे की गई थी, लेकिन एकाध समाचार पत्रों कों छोडकर किसी ने भी इन सिफारिशों कों लागू नही किया जबकि समाचार पत्र वेजबोर्ड लागू करने कों लेकर केन्द्र सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं का तों भोग कर रहें है लेकिन पत्रकारों व गेरपत्रकारों कों वेजबोर्ड के मुताबिक मानदेय नही दिया | सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी वेजबोर्ड लागू नही किया और न ही मानदेय दे रहें है |देश में लघु व मझोले समाचार पत्रों (देनिक,सप्ताहिक,पाक्षिक व मासिक) कों आर्थिक संबल व मजबूती देने के लिए एक साल में छह सजावटी विज्ञापन दिए जाने के प्रावधान किए जाए | समाचार पत्रों कों मुद्रणालय मशीन व कार्यलय स्थापित करने के लिए ब्याज दर पर श्रण दिए जाने और रियासती जमीन आवंटन किए जाए |केन्द्र सरकार ने डिजिटल पालिसी तों लागू कर दी, लेकिन पोलिसी के प्रावधान इतने कड़े है की इसके लाभ सिर्फ बड़े समाचार पत्रों, चेनलो की वेबसाइट  कों मिल रहें है | माध्यम व छोटे स्तर पर न्यूज वेबपोर्टल का संचालन करने वाले पत्रकारों कों पोलिसी का लाभ मिल सके, इसके लिए डिजिटल पालिसी के नियम व प्रावधान सरल किए जाए |केन्द्र सरकार की आयुष्मान भारत की तर्ज पर राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारों के लिए मेडिकल क्लेम योजना लागू की जाए | इसमे मिडिया संस्थानों में कार्यरत पत्रकारों कों शामिल किया जाए |कोरोना काल में भारतीय रेलवे ने सीनियर सिटीजन, पत्रकारों व अन्य कों देय सुविधाओं कों खत्म कर दिया था |देश भर में अखबारों के टाइटल,रजिस्ट्रेशन,पंजीयन,आरएनआई नबर आदि की समस्त कार्यवाही दिल्ली स्थित कार्यलय से संचालित होती है | उक्त कार्यवाहियों की व्यवस्था बिगड़ी हुई है |समय पर ना तों आरएनआई  नबर जारी हो रहें है और न ही दिल्ली कार्यालय द्वारा सबंधित की देरी की बताई जाती है | ईमेल व पत्र व्यवहार का जवाब भी नही दिया जाता है | सम्बधित पत्रकार व व्यक्ति कों दिल्ली बुलाया जाता है,जिससे व्यक्ति पर आर्थिक भार पड़ता है और समय भी व्यर्थ होता है |अखबारों के टाइटल,आरएनआई नबर,पंजीयन व रजिस्ट्रेशंन जेसे कार्यवाही तय समय में व्यवस्था लागू करवाई जाए | उक्त कार्यवाहियों हर राज्यों के पीआईबी केन्द्रों से शुरू करवाई जाए, जिससे लोगों कों दिल्ली की बजाय अपने राज्यों में ही उक्त सुविधा मिल सके |कुछ लोगों द्वारा समाचार पत्रों के टाइटल रजिस्टर्ड करवाकर उन्हें बेचने का गोरखधंधा कर  रखा है | ऐसे लोगों के कारण अपने समाचार पत्र शुरू करने वाले संजीदा लोगों व पत्रकारों कों टाइटल नही मिल पाते है | इन्हे लाखो रूपये देकर टाइटल लेने पड़ रहें है |गोरखधंधे में लिप्त ऐसे लोग अखबार नही छपवाते है, बल्कि एक हजार से कम सालाना की प्रितीया दिखाकर झूठी आडीट रिपोर्ट भरकर टाइटल कों बेचने के गोरखधंधे में लिप्त है |आपके अनुरोध है की ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए रजिस्टर्ड टाइटल की नियमित हाजिरी लागू की जाए | एक हजार से कम प्रितियो का प्रावधान खत्म किया जाए | साथ ही आरएनआई द्वारा दो या दो से अधिक टाइटल र्ह्कने वालों की चेकिंग करवाई जाए, जिससे टाइटल खरीद-फरोख्त करने वालों की पहचान हो सकेगी |

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