Breaking News :

मौसम विभाग का पूर्वानुमान,18 से करवट लेगा अंबर

हमारी सरकार मजबूत, खुद संशय में कांग्रेस : बिंदल

आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 7.85 करोड़ रुपये की जब्ती

16 दिन बाद उत्तराखंड के त्यूणी के पास मिली लापता जागर सिंह की Deadbody

कांग्रेस को हार का डर, नहीं कर रहे निर्दलियों इस्तीफे मंजूर : हंस राज

राज्यपाल ने डॉ. किरण चड्ढा द्वारा लिखित ‘डलहौजी थू्र माई आइज’ पुस्तक का विमोचन किया

सिरमौर जिला में स्वीप गतिविधियां पकड़ने लगी हैं जोर

प्रदेश में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निवार्चन के लिए तैयारियां पूर्ण: प्रबोध सक्सेना

डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस ने किया ओएनडीसी पर क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

इंदू वर्मा ने दल बल के साथ ज्वाइन की भाजपा, बिंदल ने पहनाया पटका

May 19, 2024

जांच में हुआ खुलासा,प्रदेश में जहर घोल रहे नॉन वूवन थैले |

News portals-सबकी खबर (नाहन )

देवभूमि हिमाचल में प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बावजूद पर्यावरण में जहर घुल रहा है। पॉलिथीन का प्रचलन बंद हुआ तो नॉन वूवन थैले बाजार में आ गए। यह भी पॉलीथिन की भांति ही वातावरण के लिए घातक हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में खुलासा हुआ है कि ऐसे थैले भी नॉन बायोडिग्रेबल पॉलिथीन में आते हैं। बोर्ड ने जांच की पूरी रिपोर्ट पर्यावरण विभाग को भेज दी है, जिसके बाद यह मामला राज्य सरकार के पास जाएगा। हालांकि अभी तक सरकार इस मामले में खामोशी है।

राज्य में पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर सरकार ने कई ठोस कदम उठाए हैं। प्लास्टिक और पॉलिथीन पर प्रतिबंध इनमें से एक है। प्लास्टिक की डिस्पोजल पलेटें, चम्मच, एक लीटर से छोटी पानी की बोतलों पर भी प्रतिबंध है, लेकिन बाजार में इसका खास असर नहीं दिख रहा। पॉलिथीन का उपयोग चोरी छिपे ही हो रहा है, जबकि डिस्पोजल पलेटें, चम्मच और छोटी पानी की बोतलें अभी भी बाजार में बिक रहीं हैं।

वहीं, नॉन वूवन थैले का प्रचलन अत्यधिक बढ़ने से पर्यावरण संरक्षण के तमाम तामझाम हवा-हवाई साबित होते दिख रहे हैं। यह थैले पॉलीप्रोपलीन की श्रेणी में आते हैं। जानकारों की मानें तो यह न तो घुलनशील हैं और न ही सड़ते हैं। राज्य के पर्यावरण विभाग ने इस संदर्भ में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जांच के लिए कहा था।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जांच की तो थैले नॉन बायोडिग्रेबल पॉलिथीन पाए गए। लिहाजा, हिमाचल प्रदेश नॉन बायोडिग्रेबल एक्ट 1995 के तहत इन्हें भी प्रतिबंधित किया जा सकता है। बोर्ड सदस्य सचिव आदित्य नेगी ने बताया कि जांच रिपोर्ट पर्यावरण विभाग को भेज दी है। 


दिल्ली और मद्रास में है प्रतिबंधित
नॉन वूवन थैले दिल्ली जैसे राज्यों में प्रतिबंधित माने गए हैं। दिल्ली और मद्रास हाईकोर्ट ने इस संदर्भ में फैसला सुनाते हुए नॉन वूवन थैलों को भी पॉलिथीन की भांति प्रतिबंधित बताया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस संदर्भ में वर्ष 2009, जबकि मद्रास हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में फैसला सुनाया था। जबकि एनजीटी ने भी इसके इस्तेमाल के पक्ष में नहीं है।
Read Previous

आधुनिक पीओएस मशीनें ही बनी दुविधा… गिरिपार व पांवटा में राशन को तरसे उपभोक्ता |

Read Next

भाजपा अगले अध्यक्ष होंगे डा. राजीव बिंदल |

error: Content is protected !!