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May 1, 2024

अरे वाह … विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री के मार्गदर्शन से बच्चो ने बेकार बोतलों से बनाया पक्षियों का आशियाना

न्यूज़ पोर्टल्स : सबकी खबर
(राकेश नदंन – नाहन ब्यूरो)

जिला सिरमौर के मोगीनंद स्कूल के बच्चों ने बेकार बोतलों को खास आकार देकर सेकड़ो परिंदे के लिए आशियाना बना दिया। बच्चों को देश का भविष्य माना जाता है। और उनमें अनेक संभावनाएं भी मौजूद होती हैं। यदि उनका सही दोहन किया जाए तो समाज में सोच भी बदली जा सकती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है सिरमौर जिला के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल मोगीनंद के बच्चों ने भी।

मोगीनंद स्कूल के शिवालिक ईको क्लब ने विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री के मार्गदर्शन से बच्चो के स्था पक्षियों को आशियाना देने के लिए सारे स्कूल परिसर व साथ लगते जंगल में प्लास्टिक की बेकार बोतलों से घोंसले बनाए हैं। और उन्हें पेड़ों पर लगाया है। इन बोतलों में उनके लिए घास भी रखी गई है ताकि पक्षी आराम से उसमें रह सकें।

इस तरह के करीब 500 घोंसले स्कूली बच्चें पेड़ों पर लगा चुके हैं. बेकार बोतलों को विशेष रूप से काटकर उन्हें घोंसलों के जैसे बनाया गया है। बच्चों के इस प्रयास की काफी सराहना भी की जा रही है साथ ही क्षेत्र में पक्षियों को ठिकाना भी मिला है। और साथ ही बेकार बोतलों का इस्तेमाल भी हुआ हैं। मोगीनंद स्कूल की छात्रा के अनुसार पक्षियों की कम होती संख्या चिंता का विषय है। इसलिए उन्होंने प्रयास इन पक्षियों को बचाने को छोटा से प्रयास किया है।


वहीं स्कूल के अन्य छात्र- छात्राओं ने बताया कि उद्योगों के कारण इलाके में काफी प्रदूषण भी है और पक्षी कम हो रहे है। इसलिए उनके क्लब ने प्रयास किया है। कि इन पक्षियों के लिए घर बनाया जाए और पेड़ों पर टांगा जाए।

स्कूल के विज्ञान प्रवक्ता एवं शिवालिक क्लब प्रभारी संजीव अत्री ने बताया कि प्रदूषण के चलते इलाके में पक्षियों की संख्या प्रभावित हो रही है। इसी को लेकर छात्रों के साथ मिलकर यह प्रयास किया गया है। और अभी तक 500 बोतलें घोंसला बना कर पेड़ों पर लगाई जा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि बेकार प्लास्टिक बोतलों को विशेष आकार में काटकर उसमें घास रखकर घोंसले बनाए गए है। और उन्हें वृक्षों पर टांगा गया है और इसके अच्छे परिणाम भी आने लगे हैं। बच्चों का यह प्रयास जिले के सभी क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। और लोग इस प्रयास की लोग प्रशंसा कर रहे हैं।

 

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