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May 18, 2024

अटल सुरंग का उद्घाटन करने के लिए आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यहां अभिनंदन और आभार कार्यक्रम किए जाएंगे

News portals-सबकी खबर (शिमला )

अटल सुरंग का उद्घाटन करने के लिए आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यहां अभिनंदन और आभार कार्यक्रम किए जाएंगे। पीएम के आने पर उनका अभिनंदन कार्यक्रम होगा, तो उनके लौटने से पहले आभार कार्यक्रम रखा गया है। कैबिनेट की बैठक में इस पर जीएडी विभाग द्वारा प्रेजेंटेशन दी गई और बताया गया कि प्रधानमंत्री के लिए अभिनंदन कार्यक्रम सिस्सू में रखा गया है, जहां पर उनके पहुंचने के बाद सुरंग का उद्घाटन होगा और यहां करीब 200 लोगों की सभा को प्रधानमंत्री संबोधित करेंगे।

साउथ पोर्टल पर बीआरओ द्वारा उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, वहीं नॉर्थ पोर्टल में भी एक छोटा कार्यक्रम रखा गया है, जहां पर भी 200 के करीब लोगों को आने की अनुमति होगी। यह कार्यक्रम सोलंगनाला में होगा, जहां से प्रधानमंत्री दिल्ली के लिए वापसी करेंगे। पीएमओ ने पहले बने कार्यक्रम में बदलाव किया है, जिसमें पीएम के यहां पर ठहरने की भी योजना थी, मगर इसमें बदलाव किया गया है। राज्य सरकार ने दोनों कार्यक्र्रमों के लिए अभिनंदन व आभार नाम रखा है, जिसमें हिमाचल पहले उनका स्वागत करेगा और फिर अटल सुरंग का तोहफा देने के लिए आभार जताएगा।

सुबह नौ बचे पहुंचेंगे पीएम नरेंद्र मोदी

पीएम तीन अक्तूबर को सुबह नौ बजे सासे पहुंचेंगे, जहां से उनका सिस्सू जाने का कार्यक्रम है। भाजपा के सभी विधायकों को इस कार्यक्रम में बुलाया जा रहा है। सभी को न्यौता भेजने को कहा गया है।  प्रधानमंत्री जहां स्टेज पर बैठेंगे वहां पर गिने चुने कुछ लोग ही होंगे और स्टेज भी बंटा हुआ होगा।  स्टेज पर कौन-कौन होंगे, इसकी सूची पीएमओ फाइनल करेगा।

जिला मुख्यालय पर लाइव टेलिकास्ट

सरकार ने अटल सुरंग के निर्माण और यहां पर होने वाली सभाओं का लाइव टेलिकास्ट सभी जिला मुख्यालय में दिखाने के लिए कहा है। इसके लिए विभाग को आयोजन करने को कहा है। बड़ी-बड़ी स्क्रीन पर यह कार्यक्रम लाइव देखा जा सकेगा, जिसकी पूरी प्लानिंग करने को कहा है। क्योंकि बड़ी जनसभा नहीं हो सकती, इसलिए जिला मुख्यालयों में इस तरह का प्रबंध किया जाएगा।

पहली बार 1854 में आया रोहतांग सुरंग का विचार

पयर्टन और सामरिक दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण रोहतांग में बनी अटल टनल भले ही उद्घाटन को तैयार है, लेकिन इसका प्रस्ताव 1854 में रख दिया गया था। हालांकि सुरंग का डिजाइन करने वाली आस्ट्रेलिया की कंपनी स्नो माउंटेन इंजीनियरिंग ने अपनी वेबसाइट में दावा किया है कि सुरंग को बनाने का विचार 1860 में पहली बार मोरेवीयन मिशन ने रखा था, लेकिन धर्मशाला के एक शोधकर्ता ने कंपनी के दावे को गलत ठहराया है। धर्मशाला से शोधकर्ता एवं लेखक धर्मपाल गर्ग ने सुरंग बनाने की पहली सोच को लेकर मोरेवीयन मिशन के बारे में तथ्यों सहित पूरी जानकारी रखी है। उनका दावा है कि ब्रिटिशकाल में अविभाजित जिला कांगड़ा का हिस्सा रहे लाहुल-स्पीति के पुराने मौजूद दस्तावेजों के अनुसार बौद्ध धर्म बहुल केलांग नामक स्थान पर मोरेवियन मिशन की स्थापना वर्ष 1854 में हुई है। यह प्रोटेस्टेंट मिशन के तहत चर्च ऑफ  दि मोरेवीयन से संबंध रखता था।

मिशनरी संबंधित कार्यों के साथ-साथ मिशन का उद्देश्य मध्य एशिया मंगोल के बौद्ध धर्म मानने वाले क्षेत्रों में अपनी पहुंच व अपने प्रभुत्व को स्थापित करना था। केलांग स्थित मोरेवीयन मिशन के भवन के साथ एक ऑनरेरी मजिस्ट्रेट का घर व पोस्ट ऑफिस भी था। उस समय मिशन के प्रभाव के कारण इस स्थान के 29 मूल निवासियों ने ईसाई धर्म को ग्रहण कर लिया था। धर्मपाल गर्ग कहना है कि कुछ वर्षों के पश्चात चर्च ऑफ  मोरेवीयन मिशन ने 1865 में किन्नौर के पूह नामक स्थान पर एक और मोरवीयन मिशन की स्थापना की। वहां पर भी पूह के छह मूल निवासियों ने ईसाई धर्म ग्रहण किया। केलांग स्थित मोरेवीयन मिशन के भवन में एक हेयडी नामक अंग्रेज रहता था, जो गर्मियों में यहां रहता था।

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