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देश प्रदेश में लोकसभा चुनाव का दौर चला हुआ है। चुनाव प्रचार खूब चल रहा है। ऐसे में पार्टी के नेता ब कार्यकर्ता जम कर पसीना बहा रहे हैं। साथ ही देवी देवताओं का आशीर्वाद लेकर अपनी जीत की दुवाओं को भी मांग रहे हैं। इसी सप्ताह दोनो प्रमुख राजनीतिक दलों के शिमला संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशियों ने हरिपुरधार पहुंच कर मां भंगायनी के दर पर माथा टेका। माता रानी से जीत के लिए दुआ मांगी।
* लाखों श्रद्धालु देश के कोने कोने से सिरमौर
के हरिपुरधार पहुंचते हैं।
*शिरगुल महाराज की मुंह बोली बहन है शक्ति शालिनी माँ भंगायनी*
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– दन्त कथाओं के अनुसार देश मे तुर्कों के राज्य होने के दौरान शिरगुल महाराज (हाट) यानि खरीददारी करने दिल्ली चले गए। जैसे ही शिरगुल महाराज दिल्ली पहुंचे। तो उनका चेहरे के तेज व ओज देख कर तुर्कों में चर्चा शुरू हो गयी। गुप्तचररों ने आशंका जताई गई कि ये कोई ओजस्वी है, जो दिल्ली में आकर तुर्कों पर आक्रमण कर सकता है। बात बादशाह तक भी पहुँच गयी। जिसके बाद शिरगुल को तुर्कों ने बंदी बना लिया। बन्दीगृह के काल कोठरी में चमड़े की बेड़ियां डाल कर गरिफ्तार कर लिया।
चमड़े की बेड़ियां डालने का मकसद था, शिरगुल की शक्ति को नष्ट करना। बंदी गृह से छुड़ाने की ये शर्त रखी की जो व्यक्ति इनकी ये चमड़े की बेड़ियों को दांत से काट कर खोलेगा, तो फिर शिरगुल को बरी कर दिया जाएगा।बागड़ देश के राजा गुगा पीर भी उन दिनों दिल्ली गए थे। इस बात का पता उनको चला, की शिरगुल देव को तुर्कों ने चमड़े की बेड़ियों में बन्दी गृह के काल कोठरी में बन्द किया है। तो वो उस बन्दी गृह के पास तुर्कों की शर्तों को स्वीकार करते हुए चले गए थे। सभी पहरेदारों को भी हिदायत थी की कोई भी उस कोठड़ी को नहीं बताएगा जिसमे शिरगुल जी बन्दी हैं।गुगा जी बन्दीगृह पहुंचे तो कोई ना बताए की शिरगुल जी को कहाँ बन्दी बना के और किस काल कोठरी में रखा गया है।
वृतान्त आता है की वहां एक औरत जमादार का काम करती थी, झाडू पोछा लगाने का। गुगा जी ने उसे कहा बहिन जी कहीं शिरगुल जी को कैद किया है? अगर आप बता दो तो आपका जन्मों जन्मों का आभारी रहूँगा। आप मेरी बहन सामान हो। उस भंगिनी को गुगा जी के बात पर दया आ गयी और उसने बोला भाई में बोल नहीं पाऊँगी ? क्योंकि यहाँ पहरा लगा है? इसलिए जिस काल कोठरी के आगे मै ये कूड़ा रखूंगी तो समझ लेना की इसमें ही शिरगुल जी कैद हैं। इतनी बात सुन कर गुगा जी ने उस कूड़े के ढेर की तरफ देखा। सीधे काल कोठरी में दाखिल हो गए । चमड़े की बेड़ियों को दांत से काट कर शिरगुल जी को बरी करवाया गया। कहा जाता है कि गुगा जी की शक्ति भी तत्काल क्षीण हो गयी वजह थी वे चमड़े की बेड़ियां जो दांत से काटने के कारण गुगा जी की वो शक्ति क्षीण हो गयी थीं। दोनों क़ैद से बहार निकले और आपस में बात करने लगे की गुगा जी आप यहाँ तक कैसे पहुंचे ? गुगा जी ने उस साफ सफाई कर्मी का परिचय दिया। और बोला की आज इस बहन के कारण आप बन्दी गृह से बरी हुये वरना मै आपको नहीं ढूंढ सकता था?
तभी शिरगुल जी ने उस कूड़ा कर्कट साफ करने वाली को मुहं बोली बहन का दर्ज़ा दे दिया। और कहा की आज से में आपको(धारो गाये रा देश)अथार्त् हरिपुरधार की वो जगह जहाँ आज भंगायनी माता का मन्दिर स्थापित
है। उस मुँह बोली बहन को दे दिया और बोला की आपका भी देश विदेश में नाम होगा। आज भी अगर देखें तो भंगायनी मन्दिर से एकदम सामने चूड़धार दिखता है। जहां पर शिरग्गुल महाराज विराजमान है। आज माँ भंगायनी
का भव्य मंदिर हरिपुरधार उसी स्थान पर बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि माँ सच्चे मन से मांगे जाने वाली मनोकामना पूर्ण करती है। देश के कोने कौने से श्रद्धालुओं का तांता साल भर हरिपुरधार मंदिर में लगा रहता है।
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