Breaking News :

मौसम विभाग का पूर्वानुमान,18 से करवट लेगा अंबर

हमारी सरकार मजबूत, खुद संशय में कांग्रेस : बिंदल

आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 7.85 करोड़ रुपये की जब्ती

16 दिन बाद उत्तराखंड के त्यूणी के पास मिली लापता जागर सिंह की Deadbody

कांग्रेस को हार का डर, नहीं कर रहे निर्दलियों इस्तीफे मंजूर : हंस राज

राज्यपाल ने डॉ. किरण चड्ढा द्वारा लिखित ‘डलहौजी थू्र माई आइज’ पुस्तक का विमोचन किया

सिरमौर जिला में स्वीप गतिविधियां पकड़ने लगी हैं जोर

प्रदेश में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निवार्चन के लिए तैयारियां पूर्ण: प्रबोध सक्सेना

डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस ने किया ओएनडीसी पर क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

इंदू वर्मा ने दल बल के साथ ज्वाइन की भाजपा, बिंदल ने पहनाया पटका

April 30, 2024

हाईकोर्ट ने शेड में जीवनयापन करने वाले हजारों परिवारों को दी बड़ी राहत

News portals-सबकी खबर (शिमला  )

प्रदेश  के हाईकोर्ट ने सरकारी भूमि पर ढारे (अस्थायी शेड) बनाकर जीवनयापन करने वाले हजारों परिवारों को बड़ी राहत देते हुए उनकी बेदखली पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकारी और अन्य विभागों की जमीन पर जीवनयापन करने के लिए ढारे बनाने वालों के पुनर्वास के लिए कोई उचित निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक उन्हें हटाने की कार्रवाई रोक दी जाए।

न्यायाधीश रवि मलिमथ ने अपने आदेशों से राज्य सरकार को उसके सांविधानिक दायित्वों की याद भी दिलाई। कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सभी नागरिकों का जीवनयापन का अधिकार पूर्णतया सुरक्षित है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह भी सरकार का दायित्व है कि वह सरकारी भूमि की रक्षा करे। कोर्ट ने कहा कि सरकार की तरफ से याचिकाकर्ता और ऐसे ही अति निर्धन लोगों को विशेष संरक्षण की जरूरत है, जिससे वे मानव जीवन जी सकें।


मामले के अनुसार बोहरी देवी व अन्य याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि वे प्रदेश में कई दशकों से रह रहे हैं और उनके नाम प्रदेश में तो क्या पूरी धरती पर एक इंच जमीन नहीं है। प्रार्थियों का मानना था कि इसी कारण वे वर्षों से सरकारी भूमि पर छोटे-छोटे ढारे बनाकर रह रहे हैं। अब सरकार ने उनका पुनर्वास किए बगैर उनके खिलाफ बेदखली प्रक्रिया आरंभ कर दी है।

सरकार का कहना था कि प्रार्थियों ने अवैध कब्जा किया है और सरकारी संपत्ति का संरक्षक होने के नाते बेदखली प्रक्रिया आरंभ की गई है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के पश्चात कहा कि पूरे प्रदेश में याचिकाकर्ताओं की तरह अपना जीवन यापन करने के लिए सरकारी भूमि पर ढारे बनाने वालों को अपने पुनर्वास के लिए छह महीने के भीतर सरकार के समक्ष प्रतिवेदन पेश करना होगा। इसके बाद सरकार को सांविधानिक कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुए उनके पुनर्वास पर निर्णय लेना होगा।

Read Previous

बहुचर्चित किंकरी देवी पार्क के पैदल रास्तों मे इंटरलॉकिंग टाइल्स बिछाने का काम शुरू

Read Next

अरे वाह : गिरिपार में पढऩा-लिखना अभियान में बुजुर्ग दिखा रहे रुचि

error: Content is protected !!