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May 18, 2024

आदर्श केन्द्रीय कारागार कण्डा” में कैदियों के चारित्रिक विकास व “नशामुक्त शिवरात्रि” पर कार्यशाला। युवा वर्ग में क्रान्ति और विश्व में शांति का मूल है: स्वामी विज्ञानानंद।

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शिमला (14 मार्च 2019)

“दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान” द्वारा स्थानीय “आदर्श केन्द्रीय कारागार कण्डा” में कैदी बंधुओं के चारित्रिक विकास के लिये आयोजित “नशामुक्त शिवरात्रि” की तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजन हुआ। अंतिम तृतीय दिवस संस्थान की ओर से “श्री आशुतोष महाराज” के शिष्य स्वामी विज्ञानानंद ने अमृत वर्षा बरसाई। स्वामी ने कहा कि अर्धनारीश्वर चन्द्रमौली भगवान शिव का एक नाम “नीलकण्ठ” भी है। अर्थात् भोलेनाथ महादेव को विश्व के कल्याणार्थ हलाहल विष का पान भी करना पड़े तो वो अपने कर्त्तव्यकर्म से कदापि पीछे नहीं हटते। यहाँ प्रभु संस्कृति और प्रकृति संरक्षक युवा की भूमिका का निर्वाह करते हैं। आज युवा वर्ग को उनके दिव्य व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर प्रकृति और संस्कृति की रक्षा करते हुए एक आदर्श नागरिक की भूमिका निभानी चाहिए। चूंकि किसी भी राष्ट्र की युवा शक्ति उस राष्ट्र की उन्नति का प्रथम एव सुदृढ़ आधार होती है। युवाओं का अदम्य एवं अथाह पौरूष, वीर्यवान तेज एवं ओज की सही दिशा उस राष्ट्र की सही दशा की कारक होती है। यदि जगद्गुरु भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्र की बात की जाए तो यहाँ पर भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, मदन लाल ढींगरा, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे युवाओं ने क्रान्ति का बिगुल बजा कर भारत को स्वतंत्रता दिलाई। उसी भारत देश में आज युवा वर्ग की दिग्भ्रमित दिशा उन्हें पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर नशा, अवसाद व भ्रष्टाचार जैसे कुकृत्यों में संलिप्त कर राष्ट्र को पतन के कागार तक ले जा रही है।


स्वामी जी ने बताया की राष्ट्र भक्ति का मूल आधार आत्म शक्ति की सुसंपन्नता है। यदि “भारत” शब्द पर विचार किया जाये तो “भा और रत” का सुमेल अर्थात प्रकाश में लीन रहने वाला। यहाँ पर आत्मा के प्रकाश की बात की गई है। जो ब्रह्मज्ञान की शक्ति से आत्म प्रकाश में सदा लीन रहे वही “भारतीय” है। मूलतः इसी आत्म शक्ति की जाग्रति से युवाओं में आत्म विश्वास, आत्म निर्भरता, आत्म संतुष्टि, आत्म उत्कर्षता जैसे सद्गुण आ सकते हैं। जो की युवा वर्ग में क्रान्ति और विश्व में शांति का मूल है। कार्यक्रम में महात्मा रमन व हरिचरण ने मेरा रंग दे बसंती चोला…, हे प्रीत जहां की रीत सदा…., इत्यादि गीत गाकर कैदी बंधुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।

“वंदे मातरम्” की अवधारणा के अनुसार प्रकृति का संस्कृति से समन्वय स्वीकार करते हुए आज संस्थान की ओर से कारागार अधीक्षक सुशील ठाकुर और स्वामी विज्ञानानंद ने कैदी बंधुओं सहित कारागार परिसर में “पौधारोपण” भी किया। साथ ही समस्त कैदी बंधुओं ने नशा न करने, प्रकृति और संस्कृति का संरक्षण करने, चारित्रिक उत्थान करने, नारी जाति का संरक्षण करने का सामूहिक संकल्प भी लिया। तीन दिवसीय कार्यशाला के अंत में कारागार अधीक्षक सुशील ठाकुर ने संस्थान के समाज कल्याण हेतु किये जा रहे सामाजिक कार्यों एवं सामाजिक प्रकल्पों के लिए संस्थान का ह्रदय से आभार व्यक्त किया।

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