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चंबा जिले के भरमौर में एक पुल टूटने से मणिमहेश यात्रा रोक दी गई है। भारी बारिश होने से भ्रंगनाला में भरमौर को हड़सर से जोड़ने वाला पुल बह गया है। जिस कारण सैकड़ों श्रध्दालु फंस गए हैं। जिला चंबा प्रशासन ने पड़ोसी जिलों के अधिकारियों को संदेश जारी कर एडवायजरी जारी की है कि वे कुछ दिन लोगों को मणिमहेश यात्रा का रुख करने से रोक दें। भारी बारिश के कारण हालात खराब हैं। हालांकि, प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि आज शाम तक मार्ग को बहाल कर लिया जाएगा।
मणिमहेश यात्रा के लिए रोजाना हजारों श्रद्धालु भरमौर पहुंचते हैं। भरमौर से करीब बारह किलो मीटर दूर हड़सर तक के गाड़ी में सफर के बाद तेरह किलोमीटर पैदल चढ़ाई शुरू होती है। मणिमहेश नाम का पवित्र सरोवर है जो समुद्र तल से लगभग तेरह हजार पांच सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसी सरोवर की पूर्व की दिशा में है वह पर्वत जिसे कैलाश कहा जाता है। इस हिमाच्छादित शिखर की ऊंचाई समुद्र तल से करीब अठारह हजार पांच सौ चौंसट फीट है। स्थानीय लोग मानते हैं कि देवी पार्वती से विवाह करने के बाद भगवान शिव ने मणिमहेश नाम के इस पर्वत की रचना की थी।
मणिमहेश पर्वत के शिखर पर भोर में एक प्रकाश उभरता है जो तेजी से पर्वत की गोद में बनी झील में प्रवेश कर जाता है। यह इस बात का प्रतीक माना जाता है कि भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर बने आसन पर विराजमान होने आ गए हैं तथा ये अलौकिक प्रकाश उनके गले में पहने शेषनाग की मणि का है। इस दिव्य अलौकिक दृश्य को देखने के लिए यात्री अत्यधिक सर्दी के बावजूद भी दर्शनों के लिए बैठे रहते हैं।
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