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June 5, 2025

देश-दुनिया में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते सरकार का फैसला, प्रदेश भर में मेले, त्योहार खेलकूद प्रतियोगिताएं अगले आदेशों तक स्थगित |

News portals-सबकी खबर (शिमला )

देश में कोरोना की स्थिति को  देखते हुए प्रदेश में मेले, त्योहार और खेलकूद प्रतियागिताएं स्थगित कर दी गई हैं। आगामी आदेश आने तक ये आदेश लागू माने जाएंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य आरडी धीमान ने कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में आने तक प्रदेश के वे सभी प्रकार के मेले, त्योहार और खेलकूद प्रतियोगिताओ  को स्थगित करने की अधिसूचना जारी की गई है, जहां जनसमूह एकत्रित होता है।

बताया जा रहा है कि कुछ विशेष धार्मिक आयोजनों में जनसाधारण के लिए एकत्र न होने के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और उन्हें अपनी यात्रा अथवा आयोजनों को पुर्ननियोजित करने के लिए कहा जा रहा है। गौर हो कि प्रदेश के मंडी, शिमला और कांगड़ा जिले में ऐसे संस्थानों की व्यवस्था की गई है, जहां पर संभावितों को निगरानी में रखा जाएगा, ताकि कोरोना के खतरे को रोका जा सकेगा। सचिव ने कहा है कि सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों सहित सभी चिकित्सकों को सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं, आईजीएमसी में संदिग्ध कोरोना मरीज़ की रिपोर्ट नेगेटिव आई है।

यह हांगकांग से शिमला आया था, लेकिन अब मामला नेगेटिव आने के बाद प्रभावित को डिस्चार्ज कर दिया गया है। इसके अलावा शुक्रवार को कांगड़ा में दो कोरोना संभावित टीएमसी में दाखिल किए गए हैं। गौर हो कि प्रदेश सरकार इस पर कड़ी नज़र रखे हुए है। कोरोना का इलाज लेने और देने में सुस्ती या लापरवाही बरतने पर सख्त दंड का भी प्रावधान किया गया है। प्रदेश सरकार ने ऐपेडेमिक एक्ट 1897 के तहत अधिनियम जारी किए है, जिसमें सभी सरकारी व निजी क्लीनिक के चिकित्सा अधिकरियों को ऐसे व्यक्ति, जो कोविड-19 प्रभावित देशों की हाल ही में यात्रा कर भारत आए हैं और खांसी, बुखार, जुकाम अथवा सांस लेने मे तकलीफ जैसे लक्षणों के साथ चिकित्सीय परामर्श के लिए आ रहे हैं, की सूचना संबंधित जिला सर्विलांस यूनिट को देना अनिवार्य माना गया है।

गौर हो कि डब्लूएचओ ने कोरोना को ऐपेडेमिक घोषित कर दिया है। लिहाज़़ा प्रदेश में भी इसे लेकर कड़ी ऩजर रखी जा रही है। इस पर गौर करें तो अब यह अधिनियम आयुष चिकित्सा अधिकारियों पर भी लागू होंगे। यदि कोई व्यक्ति कोरोना के लक्षणों की संभावनाओं अथवा पुष्टि सहित प्रकाश में आता है और उपचार व बचाव के उपायों को अपनाने या मानने से मना करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

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