News portals-sसबकी खबर (शिमला)
ग्रामीण इलाकों में नि:शुल्क पानी बांटने में तीन महीने से ज्यादा का वक्त लग सकता है। मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर दो बड़े कदम अभी उठाए जाने बाकी हैं। इनमें मंत्रिमंडल की बैठक में योजना के प्रारूप पर मुहर लगनी है और दूसरा इस योजना को लेकर अधिसूचना जारी होनी है। ऐसे में साफ है कि ग्रामीण इलाकों में नि:शुल्क पानी के लिए अभी और इंतजार करना होगा। जलशक्ति विभाग इस बारे में सरकार की अधिसूचना का इंतजार कर रहा है और इसके बाद ही नि:शुल्क पानी की व्यवस्था का प्रारूप तैयार करेगा। यहां बड़ा सवाल नि:शुल्क पानी की सप्लाई के एवज में जलशक्ति विभाग को होने वाले भुगतान को लेकर भी बना है।
जलशक्ति विभाग ग्रामीण इलाकों में पानी की सप्लाई नि:शुल्क करता है, तो इसका असर राजस्व नुकसान के रूप में विभाग को चुकाना होगा। मुख्यमंत्री ने हिमाचल दिवस के मौके पर जिन तीन बड़ी घोषणाओं का जिक्र किया था। उनमें ग्रामीण इलाकों में नि:शुल्क पानी की बात भी कही गई थी। इस घोषणा के बाद बिजली बोर्ड की तर्ज पर ही जलशक्ति विभाग को भी तैयारियां करनी थी, लेकिन जलशक्ति विभाग अभी तक इस बारे में ठोस शुरुआत नहीं कर पाया है। नि:शुल्क पेयजल के प्रारूप को साकार करने में जलशक्ति विभाग को तीन महीने से ज्यादा का समय लग सकता है। जलशक्ति विभाग के मुख्य अभियंजा संजीव कौल का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में नि:शुल्क पानी को लेकर अभी तक विभाग के पास कोई अधिसूचना नहीं पहुंची है। जब तक अधिसूचना नहीं आ जाएगी तब तक इस योजना का प्रारूप तैयार नहीं हो पाएगा।
कैसे निपटेगा विभाग
ग्रामीण इलाकों में जलशक्ति विभाग ने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को तैनात किया है। इन कर्मचारियों को विभाग वेतन की अदायगी कर रहा है। ग्रामीण इलाकों से जलशक्ति विभाग को अच्छा-खासा राजस्व हासिल होता है।
इस राजस्व को वेतन और दूसरे कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में जब पानी नि:शुल्क होगा तो कर्मचारियों को वेतन की अदायगी में पेश आने वाली मुश्किलों से विभाग कैसे निपटेगा। इसके अलावा एक सवाल यह भी है कि मंत्रिमंडल की बैठक में पानी बिल्कुल नि:शुल्क करने का फैसला होगा या इसमें छूट से जुड़े कदम उठाए जाएंगे।
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